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By  Thikana Pindwara
Mon, 25-May-2020, 18:56

डाभी खाप पड़िहार वंश की प्राचीन खाप है जो खेड़गढ़ से स्वतंत्र हो गयी थी।  
मुहणोत नेन्सी ने आबू अग्निकुंड से उत्पन्न राजवंश में भी प्रतिहार के स्थान पे डाभी उल्लेख किया है(नेन्सी री ख्यात भाग-1, पृष्ठ संख्या 134) जिससे ये पड़िहारो की खाप सिद्ध होती है।

राजधानी : खेड़गढ़
राजवंश : डाभी और गोहिल
समय :विक्रमी संवत : ६८५ से १०५६

खेड शब्द कि उत्पति प्राकृत भाषा से हुई है | जैन आगम कल्पसूत्र में इस खेड शब्द का प्रयोग दो-तीन स्थानो पर हुआ है|जिसका अर्थ है-"समृद्धिशाली नगर" वास्तव मे यह नगर मरुप्रदेश,मरुभौम,मरुस्थल,मरुमण्डल,मरुकान्तार इत्यादि अनेक नामो से सम्बोधित होने वाले विशाल प्रदेश की राजधानी होने का गौरव सहस्त्र वर्षो तक अर्जित करता रहा है|

सहस्त्रब्दियों पूर्व दूर अतीत की स्मृतियों संजोगे वर्षा काम में सुंदर सुरम्य हरियाली से भरा,पहाड़ियों से धिरा अपनी गौरव गाथा कहता ,धार्मिक ध्वजा को फहराता हुआ,मंदिर के पावन शिखर कलश जो श्रद्धापूर्ण वातावरण में जन-जन को आकर्षित
करता हुआ अपनी अनोखी कहानियां संजोये हुए हैं,यह किसी ज़माने में विशाल साम्राज्य की "राजधानी" रहा 'खेड,खेड़गढ़, अथवा खेड पटटन अथवा लवण खेटल,महेवा,क्षीरपुर नाम से भारत भर में प्रसिद्धा रहा है|

इस विशाल मरुमण्डल की राजधानी खेड-जो विशाल भू भाग में फैला हुआ था,कहते है कि राजधानी के १२ द्वार थे | विस्तार के लिहाज से खेड का एक भाग गोपड़ी व् इकरानी तक, एक भाग पचपदरा तक| खेड नगर की विशालता वर्तमान स्थिति में देखे तो अचरज होता हैं | राजधानी खेड का तत्कालीन विस्तार जसोल,मेवानगर,सिनली,बोरावा,तिलवाड़ा,बागुण्डी व सियाली(साजियाली),तेमावास,बोरावास,बमिनि,सांभरा,पचपदरा थे|

अतीत के झरोखे में झांके तो यह विशाल साम्राज्य चंद्रवंशी और सूर्यवंशी राजाओ के अधीन खूब फला-फुला बाद के कल खंड में भी महमूद गजनवी के धर्मधता के क्रूर प्रहारों को सहन कर अस्तित्व में रहा उसके बाद परमारों का राज्य भी रहा |
विक्रमी संवत ६८५ से १०५६ तक के लम्बे काम में चावड़ा,डाभी व गोहिलो के शासन के बाद राठौड वंश का शासन चला जो आजादी के पूर्व तक चलता रहा. रहा| इस विशाल साम्राज्य का पूर्ण इतिहास तो वि.सं १२३५ के बाद का ही मिलता है|

: रवो से विचार-विमर्श हुआ इनकी शंकाओ का समाधान कर देवी की 
जय श्री राम
जय क्षात्र धर्म
जय माँ महिषसुरी मर्दिनी
जय माँ चामुण्डा

अगले अंश में "डावां डाभी ने जीवणा गुहिल" कहावत को कुछ बताया जायेगा

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